GOPIO – ब्रह्मकुमारी के संयोजन में रक्षाबंधन कार्यक्रम में महामहिम राजदूत अभय ठाकुर का भाषण
(स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र)
17 जुलाई 2025
ॐ शान्ति।
- नमस्कार आज के इस पावन अवसर पर मैं ब्रह्माकुमारी संस्था, GOPIO Myanmar, और उपस्थित सभी श्रद्धेय अतिथियों, बहनों-भाइयों एवं परिवारजनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
यह पर्व केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सुरक्षा, आत्मीयता और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व हमें आत्मा और परमात्मा के उस दिव्य संबंध की याद दिलाता है, जिसमें शुद्ध प्रेम, निस्वार्थ रक्षा और शान्ति समाहित है।
- आज का यह रक्षाबंधन समारोह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे बीच उपस्थित हैं ब्रह्म कुमारी भावना दीदी। आपने 13 वर्ष की अल्पायु में ब्रह्माकुमारी की आध्यात्मिक यात्रा में समर्पित हुईं और 1982 से पेसिफिक क्षेत्र की निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
- ब्रह्माकुमारी संस्था, जिसकी स्थापना सन 1937 में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने की, आज संयुक्त राष्ट्र में विशेष परामर्शदात्री दर्जा प्राप्त विशिष्ट आध्यात्मिक संस्था है। विश्व के 140 से अधिक देशों में इसके 8500 से अधिक सेवा केंद्र सक्रिय हैं, जो नारी सशक्तिकरण, मूल्यों-आधारित शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, तनावमुक्त जीवनशैली, योग और ध्यान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यह संस्था भारत की आध्यात्मिक विरासत को विश्व मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रही है।
आज के संदर्भ में मैं एक अपना विचार आपके सामने रखना चाहूंगा। जब मैं 2020 में G20 में भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत उप शेरपा के रूप में कार्यरत था तब हमने “women led development” पर जोर दिया था, न केवल “women empowerment” या “जेंडर इक्वलिटी” पर अर्थात न केवल “स्त्री पुरुष समानता” अथवा “नारी सशक्तिकरण" पर बल्कि "नारी के नेतृत्व में विकास” की बात की और इस पर एक अंतरराष्ट्रीय पहल की। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत को छोड़कर बाकी सभी G20 देशों ने चाहे वो विकसित या विकासशील देश हो, अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड से लेकर रशिया, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने भारत की G20 वार्ता के दौरान इस पहल पर संदेह जताया। सबका प्रश्न और संदेह इस बात पर था कि "नारी के नेतृत्व में विकास" के बाद "स्त्री पुरुष समानता" के सिद्धांत का क्या होगा और क्या यह सैद्धांतिक रूप से मान्य है ? किंतु माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में परिभाषित इस नए विचार और नई शब्दावली और इस नई सोच का समय आ चुका था।
उदाहरण के तौर पर मैं आपको बताऊं कि कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण में यह सिद्ध किया गया है कि कंपनियों या संस्थानों में या उन सरकारों में, जहां स्त्रियां नेतृत्व करती हैं; भ्रष्टाचार कई बार कम होता है और कार्य अधिक सफलता से पूर्ण होते हैं ।
इन तथ्यों के चलते G20 लीडर मात्र एक दिन पहले सभी G-20 देशों ने इस परिभाषा, इन शब्दों को पूर्ण सहमति से स्वीकार किया। “वूमेन लेड डेवलपमेंट” या “नारी के नेतृत्व में विकास” के अंतर्गत स्त्रियों को विकास प्रक्रिया के केंद्र बिंदु पर लाया गया और नेतृत्व का स्थान/ अवसर दिया जाता है चाहे वह राजनीति हो आर्थिक मामले हो जिसमें देश और संस्थाओं के विकास को एक नई गति प्राप्त हो सके।
आज इस मंच से मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि न केवल नारी सशक्तिकरण अपितु नारी नेतृत्व पर हम और ध्यान दें तो यह समाज और देश के लिए बहुत अच्छा होगा। आइये ल हम सब नारी शक्ति से नारी नतृत्व की दिशा में आगे बढ़े ।
- आज मैं यह भी कहना चाहूंगा कि भारत-म्यांमार संबंधों को प्रगाढ़ बनाने हेतु, भारतीय दूतावास, यांगून, विभिन्न आयामों में निरंतर कार्यरत है। सांस्कृतिक स्तर पर, हम योग दिवस, हिंदी दिवस, रक्षाबंधन, दिवाली, होली जैसे आयोजनों द्वारा साझा सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित कर रहे हैं। शैक्षणिक स्तर पर, ICCR छात्रवृत्तियाँ, KIP (Know India Programme), और विशेष प्रशिक्षणों के माध्यम से युवा शक्ति को जोड़ा जा रहा है। आर्थिक दृष्टिकोण से, MSME सहयोग, भारत-म्यांमार व्यापार परिषद एवं क्षमता निर्माण पर केंद्रित कार्यक्रमों द्वारा साझेदारी को विस्तार दिया जा रहा है। सामाजिक स्तर पर, हम स्वच्छता, महिला जागरूकता और संस्कार आधारित शिक्षा पर कार्य कर रहे हैं।
- मित्रों आज मैं GOPIO म्यांमार का भी सराहना करना चाहता हूं । उनके अथक प्रयास और सहयोग से जनवरी 2025 में प्रवासी भारतीय दिवस में म्यांमार से 37 PIO लोगों ने भाग लिया 20 लोगों ने प्रवासी भारतीय तीर्थ दर्शन योजना में हिस्सा लिया और एक प्रतिनिधि PIO डॉ रामनिवास को प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया। एक बार फिर से GOPIO म्यांमार को मेरी ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद।
रक्षाबंधन का आज यह स्वरूप एक बार पुनः स्मृति है कि सुरक्षा केवल भौतिक नहीं होती — सबसे गहन रक्षा आत्मा की होती है, विचारों की होती है, और आध्यात्मिक सशक्तिकरण की होती है। यही रक्षा बंधन हमें आत्मबल, करुणा और संयम के सूत्र में बांधता है।
- अंत में मैं ब्रह्माकुमारी संस्था और GOPIO Myanmar को इस सुंदर, सार्थक और शांति से परिपूर्ण आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। भावना दीदी के आगमन से यह अवसर और भी दिव्य बन गया है। आशा है कि उनके विचार हम सभी के जीवन में सद्भाव, सामर्थ्य और संतुलन का संचार करेंगे।
ॐ शान्ति।