Embassy of India, Yangon, Myanmar
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Speech by Ambassador Abhay Thakur on Partition Horrors Remembrance Day

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर राजदूत अभय ठाकुर का भाषण

(14 अगस्त 2025) स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, यांगून

देवियो और सज्जनो,

आज हम उन अनगिनत लोगों को याद करते हैं जिन्होंने विभाजन की विभीषिका के कारण कष्ट सहे और उनके साहस एवं मानवीय दृढ़ता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह दिन भारत की स्वतंत्रता से पहले हुई दुखद घटनाओं की याद दिलाता है। जहाँ कल 15 अगस्त को औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति की 79वीं वर्षगांठ है, वहीं 14 अगस्त विभाजन के विनाशकारी प्रभाव का प्रतीक है।

14 अगस्त 2021 को, हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि इस दिन को हमेशा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा, जो 1947 में भारत के विभाजन के दौरान लाखों लोगों द्वारा अनुभव की गई अपार पीड़ा और क्षति को याद करने का दिन है। विभाजन ने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया, घृणा और हिंसा के कारण असंख्य निर्दोष लोगों की जान ले ली। यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि ऐसी त्रासदी हमारे देश में फिर कभी न आए और एकता एवं सामाजिक सद्भाव की भावना को मजबूत करें।

विभाजन के नकारात्मक दुष्प्रभाव इस सदी में भी मौजूद हैं। आज, दुनिया भारत को एक नए नज़रिए से देख रही है, खासकर आतंकवाद के खिलाफ हमारी साहसिक कार्रवाइयों को। भारत न केवल साहस और बुद्धिमत्ता के साथ आतंकवाद का सामना कर रहा है, बल्कि आतंकवाद के समर्थकों को एक कड़ा संदेश भी दे रहा है कि उन्हें दंडित किया जाएगा।

आज हम अपनी राष्ट्रीय यात्रा के एक महान व्यक्तित्व, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि स्वरूप एक फिल्म 'मैं अटल हूँ' प्रदर्शित करेंगे। एक राजनेता, दूरदर्शी और कवि, उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया। उनके नेतृत्व में, भारत ने नए जोश के साथ 21वीं सदी में प्रवेश किया, जिसने भारत के आर्थिक विकास को गति दी। उन्होंने अपने कार्य से देश के कोने-कोने और सुदूर क्षेत्रों को एक साथ जोड़ा, और एकता के बंधन को मजबूत किया।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने आज अपनी 'X’ post में कहा है "भारत आज विभाकाजन विभीषिका स्मृति दिवस के माध्यम से देश के बंटवारे की त्रासदी को याद कर रहा है। यह हमारे इतिहास के उस दुखद अध्याय के दौरान असंख्य लोगों द्वारा झेले गए दुख और पीड़ा को स्मरण करने का दिन है। यह दिन उनके साहस और आत्मबल को सम्मान देने का भी अवसर है। इन्होंने अकल्पनीय कष्ट सहने के बाद भी एक नई शुरुआत करने का साहस दिखाया। विभाजन से प्रभावित ज्यादातर लोगों ने ना सिर्फ अपने जीवन को फिर से संवारा, बल्कि असाधारण उपलब्धियां भी हासिल कीं। यह दिन हमें अपनी उस जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है कि हम सौहार्द और एकता की भावना को सुदृढ़ बनाए रखें, जो हमारे देश को एक सूत्र में पिरोकर रखती है।"

म्यांमार में भारतीय समुदाय की एकता और सह-अस्तित्व सर्वविदित है। ऐतिहासिक रूप से, भारतीय समुदाय ने संकट के समय रचनात्मक भूमिका निभाई है, और मार्च 2025 के भूकंप के बाद उनकी करुणा विशेष रूप से प्रशंसनीय थी। भारतीय समुदाय के सदस्यों ने सहायता पहुँचाने, सामुदायिक भोजन पकाने और समाज के विभिन्न वर्गों की सेवा करने में, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो, स्वयंसेवा की।

देवियो और सज्जनो,

यह दिन एक अनुस्मारक और कार्रवाई का आह्वान है, जो व्यक्तियों और समुदायों से एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण के भविष्य की दिशा में काम करने का आग्रह करता है। भगवान बुद्ध और श्रीराम के शाश्वत मूल्यों से प्रेरित होकर, आइए हम करुणा, सद्भाव और सह-अस्तित्व के मार्ग को अपनाएँ।

जय हिंद!